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ये हैं भारत की 15 दबंग लेडी पुलिस अफसर जिन्होंने किया देश का नाम रोशन

Mechieboy Team
Last updated: 2022/01/30 at 2:14 PM
Mechieboy Team
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14 Min Read
भारत में कुछ ऐसे भी IAS  और IPS  अफसर हुए हैं, जिन्होंने अपना सारा जीवन ही देशसेवा में समर्पित कर दिया और इस कार्य में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है |महिला IPS अधिकारी पूरे देश मे नारी-शक्ति का प्रतीक मानी जाती है और अब तो वे हमारे देश की पैरामिलिट्री और BSF जैसी बॉर्डर फोर्स में भी प्रमुख रूप से पद सम्भाल रही हैं।
आज हम आपको भारत की 15 शीर्ष महिला IPS अधिकारियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो हमारे समाज को प्रेरित कर रही हैं।

Contents
किरण बेदीकंचन चौधरी भट्टाचार्यआर. श्रीलेखारूपा मौदगिलसंजुक्ता पराशरमीरा बोरवंकरडॉ बी. संध्याश्रेष्ठा ठाकुरछाया शर्माअर्चना रामासुंदरमसोनिया नारंगविमला मेहरास्मिता सभरवालमेरीन जोसफबी. चंद्रकला

किरण बेदी

यह देश की पहली महिला IPS अफसर रही हैं। किरण बेदी का जन्म 9 जून, 1949 को पंजाब के अमृतसर में हुआ, इनकी प्रारंभिक शिक्षा सैक्रेड हार्ट कन्वेंट स्कूल, अमृतसर में हुई. किरण बेदी  इंग्लिश में बी.ए. (आनर्स) के साथ पॉलिटिकल साइंस में एम.ए. हैं. आई.आई.टी. दिल्ली से उनको डॉक्ट्रे ट की मानद उपाधि भी मिली है, किरण बेदी अपने काम की वजह से हमेशा सुर्खियों में रही हैं. उन्होंने नशीले पदार्थों के नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और वीआईपी सुरक्षा जैसे काम किए हैं.उन्हें क्रेन बेदी के नाम से भी जाना जाता है. दिल्ली ट्रैफिक में तैनाती के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार को क्रेन से उठवा लिया था यही कारण है कि किरण बेदी  जनता के बीच क्रेन बेदी के नाम से भी जानी जाती हैं। उनके जीवन पर आधारित कई किताबें बाजार में उपलब्ध हैं. वह खुद ‘इट्स ऑलवेज़ पॉसीबल’ और ‘लीडर एंड गवर्नेंस’ नाम से किताब लिख चुकी हैं.

कंचन चौधरी भट्टाचार्य

कंचन चौधरी भट्टाचार्य  उत्तराखंड पुलिस की पूर्व महानिदेशक है। इन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में हरिद्वार,  के चुनाव में भाग लिया। ये राज्य की पुलिस महानिदेशक  बनने  वाली पहली महिला रही हैं और ३१ अक्टूबर २००७ को  सेवा से सेवानिवृत्त हुई।  किरण बेदी के बाद यह इस देश की दूसरी महिला आईपीएस अधिकारी है । इनके पास ३३ वर्ष के कार्य का एक शानदार अनुभव है।  किसी राज्य की डीजीपी बनने वाली पहली महिला हैं और उत्तराखंड राज्य के डीजीपी के रूप में कंचन चौधरी भट्टाचार्य  अपनी सेवाएँ प्रदान की। कंचन चौधरी भट्टाचार्य  १९७३ में आईपीएस में शामिल होने वाली दूसरी अधिकारी और उत्तर प्रदेश कैडर की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं।

आर. श्रीलेखा

श्रीलेखा केरल की पहली महिला आईपीएस अफ़सर हैं। इसके बाद ठीक 30 साल बाद यानी 2017 में वह राज्य की पहली डीजीपी (DGP) बनीं। श्रीलेखा ‘रेड श्रीलेखा’ नाम से बहुत मशहूर रहीं। अपने सीबीआई टीम में होने के दौरान, उन्होंने बिना डरे कई प्रभावशाली लोगों के यहाँ छापा मारा। इसके अलावा, वह ट्रांसपोर्ट कमिश्नर भी रहीं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने रोड एक्सीडेंट्स पर गंभीरता से काम किया और उसके लिए सुरक्षा को लेकर सख्त पैमाने बनाएं। यही नहीं, श्रीलेखा ने , क्राइम इन्वेस्टीगेशन पर उन्होंने तीन किताबें भी लिखी हैं।

रूपा मौदगिल

सुपरकॉप की लिस्ट में आईपीएस ऑफिसर रूपा मौदगिल का भी एक बड़ा नाम है। रूपा जब कर्नाटक की जेल में डिप्टी इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थीं, तब उन्होंने जेल में हो रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया था। साथ ही, उन्होंने AIADMK पार्टी की सेक्रेटरी वीके शशिकला को मिल रही खास सुविधाओं को भी उजागर किया था। उनके इस बात के उजागर करने के बाद वह पूरे देश में अपनी निडरता के लिए मशहूर हो गईं। यही नही इसके अलावा, साल 2004 में उन्होंने मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को गिरफ्तार करने से लेकर उन्होंने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और कई अपने से बड़े अफ़सरों के एस्कॉर्ट गाड़ियों के इस्तेमाल को भी रुकवा दिया था।

संजुक्ता पराशर

असम की आईपीएस अफसर संजुक्ता पराशर ‘आयरन लेडी ऑफ असम’ के नाम से मशहूर हैं। संजुक्ता ने आतंकवाद विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले करीब पांच दर्जन से ज्यादा उग्रवादियों को महज 15 महीनों में सलाखों के पीछे पहुंचाया था।उन्होंने कई नक्सल इलाकों में सीक्रेट ऑपरेशन किये, जिसमें उन्होंने गैर-कानूनी हथियारों को जब्त किया और उनकी तस्करी पर अपना शिकंजा कसा। इसके अलावा, उन्होंने लिंगानुपात के आधार पर महिला पुलिस अफ़सरों और पुरुष पुलिस अफ़सरों के बीच मौजूद भ्रम को भी कई हद तक तोड़ने का काम किया है। कानून के एक अधिकारी के रूप में अपनी  सभी उपलब्धियों के बावजूद, पराशर ने एक ऐसा नरम पक्ष भी दिखाया है जो पूरे देश में कई लोगों के दिलों को जीत चुकी हैं।

मीरा बोरवंकर

1981 बैच की आईपीएस ऑफिसर मीरा बोरवंकर मुंबई के डिप्टी पुलिस कमीशनर समेत राज्य सीआईडी क्राइम ब्रांच में भी नियुक्त रहीं। मीरा, साल 2001 में मुंबई क्राइम ब्रांच की पहली महिला मुख्य बनीं। वह अपनी सर्विस के दौरान हमेशा एक स्ट्रिक्ट ऑफिसर के तौर पर जानी गईं हैं। मीरा ने स्टेट क्राइम डिपार्टमेंट में रहते हुए बहुत मशहूर जलगाँव सेक्स स्कैंडल की जांच की थी, जिसमें बहुत सारे बड़े नेताओं का नाम उछला था।उन्होंने मुंबई सीबीआई के इकॉनोमिक ओफेंसेस विंग के साथ काम किया और साथ ही मीरा दिल्ली की सीबीआई के एंटी-करप्शन ब्यूरो की डीआईजी के तौर पर भी काम किया है। अपने बेहतरीन योगदान और कार्य के लिए उन्हें कई बड़े अवार्ड्स दिये गये और 1997 में राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया था।

डॉ बी. संध्या

डॉ बी. संध्या केरल पुलिस में एडिशनल डायरेक्टर जनरल के पद पर रहीं। संध्या का नाम उस समय  मशहूर हुआ जब उन्हें साल 2006 में शारीरिक शोषण से जुड़ा मामला जांच के लिए मिला। दरअसल, यह मामला केरल के मिनिस्टर पी.जे जोसफ से जुड़ा था।इसके बाद 2009 में संध्या ने जनमैत्री सुरक्षा प्रोजेक्ट को लागू किया। यह केरल में कम्युनिटी पोलिसिंग का एक प्रोजेक्ट था, जोकि बहुत सफल रहा। संध्या को अमेरिका स्थित  इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वीमेन पुलिस (IAWP) ने इंटरनेशनल स्कॉलरशिप से नवाजा था। इसके अलावा, उन्हें केरल पुलिस समेत राष्ट्रपति अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

श्रेष्ठा ठाकुर

आईपीएस ऑफिसर श्रेष्ठा ठाकुर कहती रही हैं कि वह अपने होने वाले ट्रान्सफर को अपने अच्छे कामों का नतीजा मानती हैं। साल 2017 में, उनका एक वीडियो बहुत वायरल हुआ था,इस दौरान वह बुलंदशहर की डीएसपी थीं और बीजेपी के कुछ कार्यकर्त्ता बिना हेलमेट, कागज़ और नंबर प्लेट के मोटरसाइकिल चला रहे थे तो इस पर श्रेष्ठा उन सभी उग्र कार्यकर्ताओं से बिना डरे फाइन के लिए चालान काटा।

छाया शर्मा

आईपीएस बैच 1999 बैच की छाया शर्मा उस समय दिल्ली पुलिस की डीसीपी थीं, जब देश ने 16 दिसंबर जैसे काले दिन का सामना किया था। छाया, दिल्ली विश्वविद्यालय से इकॉनोमिक्स में ग्रेजुएट हैं। जब निर्भया रेप का मामला सामने आया, तब छाया ने अपनी टीम के साथ मिलकर बहुत कम समय इस केस के आरोपियों को धर दबोचा था। उन्होंने एकदम दिशाहीन केस में बहुत जल्दी सबूत जमा करके इस केस को हल कर दिया था। निर्भया केस के अलावा, छाया शर्मा ने बेबी फलक रेप केस, पोंटी चड्ढा केस, नामधारी की गिरफ्तारी से लेकर दीपक भारद्वाज के मर्डर केस में जांच की है।

अर्चना रामासुंदरम

1980 बैच की आईपीएस ऑफिसर अर्चना रामासुंदरम ने राजस्थान से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इसी जगह उन्होंने अपने नियुक्त किये जाने से पहले लेक्चरर के तौर पर भी काम किया था। इसके बाद, उन्होंने एसपी रहते हुए कई गैर-कानूनी रूप से व्यापार करने वाले, तस्करों और ब्लैक मार्केटिंग का काम करने वालों पर कड़ी कार्यवाही की थी। अर्चना ने चेन्नई के विजिलेंस एंड एंटी-करप्शन डिपार्टमेंट में बतौर एसपी काम किया। जिसके बाद 1999 में उन्हें दिल्ली में सीबीआई की डीआईजी नियुक्त कर दिया गया। उन्हें अपनी सर्विस के लिए राष्ट्रपति पुलिस मेडल से नवाज़ा जा चुका है। इसके अलावा, अर्चना को सशस्त्र सीमा बल की डीजी बनाया गया और इसी के साथ वह एसएसबी की पहली महिला मुख्य बनी |

सोनिया नारंग

सोनिया नारंग 2002 बैच की एक IPS अधिकारी हैं। उन्होंने 1999 में पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक किया। सोनिया समाजशास्त्र में गोल्ड मैडलिस्ट रहीं हैं।  उन्हें अपराध जांच विभाग (सीआईडी) में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ (पुलिस पुलिस उपमहानिरीक्षक) (डीआईजी) का पद मिला।उन्हें अक्सर एक जिम्मेदार अधिकारी के रूप में जाना जाता है,  लाइन क्रास करने पर एक राजनेता को थप्पड़ मार दिया था और उन्होंने लोकायुक्त में भ्रष्टाचार के घोटाले से पर्दा उठाया। इसी का परिणाम था कि पूर्व लोकायुक्त न्यायाधीश भास्कर राव को इस्तीफा देना पड़ा। वह सुर्खियों में रही जब उन्होंने चौंकाने वाले प्री-युनिवर्सिटी के प्रश्नपत्र घोटाले में अपराधियों की तलाश की ।

विमला मेहरा

विमला मेहरा देश की पहली महिला विशेष आयुक्त है l वह एकमात्र ऐसी महिला है जिसने दिल्ली पुलिस के इतिहास में पहली बार विशेष आयुक्त पुलिस के महत्वपूर्ण पद का दायित्व निभाया। उन्हें किरण बेदी के बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल की दूसरी महिला महानिदेशक के रूप में सबसे ज्यादा जाना जाता है। उन्होंने जेल में एक प्रमुख बदलाव करते हुए महिला कैदियों के लिए विदेशी भाषा के पाठ्यक्रमों की शुरूआत की। महिला अपराध शाखा के प्रमुख के रूप में विमला मेहरा ने महिला हेल्पलाइन  की शुरूआत 1901 मे की। एक महिला पुलिस अधिकारी के रूप में उन्हें महिलाओं से जुड़े सभी मामलों में जांच अधिकारी (आईओ) बनाया गया था, जो अपने आप में एक उपलब्धि थी। उन्होंने महिलाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की।

स्मिता सभरवाल

स्मिता सभरवाल देश की सबसे कम उम्र की महिला आईएएस अधिकारियों में एक हैं। स्मिता सभरवाल 2001 बैच की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी हैं। वह लोगो में “पीपल्स ऑफिसर” नाम से भी लोकप्रिय हैं। वह पहली महिला IAS अधिकारी हैं, जिन्हें  मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त किया गया हैं स्मिता सभरवाल को तेलंगाना राज्य में किए गए कई सुधारों के लिए जाना जाता है। उनके प्रशासकीय कौशल ने तेलंगाना के लोगों की विभिन्न तरीकों से मदद की है। उनके पीपुल्‍स ऑफिसर यानी जनता का अधिकारी कहे जाने की वजह ये है कि उन्‍होंने जनता पर केंद्रित कई योजनाओं का सफलता से अमल किया।

मेरीन जोसफ

25 साल की मेरीन जोसफ केरल कैडर की आईपीएस हैं। जब वे 6 th क्लास में थीं तब उन्होंने सिविल सर्विस ज्वाइन करने के बारे में सोचा था। इसके बाद कुछ समय बाद ही उन्होंने तैयारी शुरू की और रेग्युलर स्टडी और नोट्स तैयार कर स्टडी की, इस कारण वे पहली बार में ही Exam क्लियर करके IPS अफसर बन गईं। वे प्रमोट होकर बतौर SP बनी और कमांडेंट ऑफ केरल ऑर्म्ड पुलिस बटालियन 2 में पोस्टेड हुईं। इस पोस्ट पर वे पहली महिला हैं।

बी. चंद्रकला

बी चन्द्रकला एक मेंहनती और ईमानदार IAS ऑफिसर है । उन्होंने ये कर दिखाया कि अगर इंसान मे कुछ करने का जस्बा है तो वो द्रढ़ इक्छा शक्ति से कुछ भी कर सकता है। उन्होंने प्रशासन की बारीकियों को समझा और सरकारी तंत्र में जो खामिया है ,उसको दूर करने का प्रयास किया और सफल रही । अपने कार्यो के द्वारा स्वच्छ और सम्मानजनक छवि के कारण ही आज बी.चन्द्रकला सभी राजनीतिज्ञों दलों और जनता मे लोकप्रिय है । उनके अनुसार  विकास कार्य तभी सम्भव है,जब प्रशासन और अधिकारी वर्ग अपने कार्यो को ईमानदारी के साथ निष्ठापूर्वक करे ।
यह हैं वो दबंग लेडी अफसर जिन्होंने अपने जीवन में अदम्य साहस का परिचय दिया और इस देश के युवाओं को प्रेरित किया , हमे इनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए .

Source: MintShint

Mechieboy Team 30/01/2022 12/06/2021
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