पाकि’स्तान से दूर उत्तर में हुंजा नाम के एक शहर है जहा पर लोग बहुत सादा ज़िन्दगी जीते है और सादगी हँसी और योगा इनकी ज़िन्दगी ही उनकी बेहतरीन ज़िन्दगी का राज़ बन चुका है। वैसे हुंजा शहर के लोग वादियों में रहते हैं, इसे “बड़ों की वादी” के तौर पर लोग जानते है, इसका मतलब होता है “वो लोग जो तीर की तरह एक ही महाज़ में मुताहद हैं”।
जदीद टेक्नोलॉजी ऐसी चीज़ें हैं जो वो नही जानते, वे ऐसे लोग हैं जिन्हे टीवी और इंटरवेट के बारे में नहीं पता है ये ही नहीं उनके पास किसी मोटर कार की सुविधा भी मौजूद नहीं है जैसा की आप जानते है की ये सभी चीजे आज कल के दौर में सभी लोगों के पास मौजूद होता है।आप जानकर हैरान हो जाएंगे की दुनिया से पिछड़े रहने के बाद भी ये लोग बिना किसी सेहत की खराबी के कम से कम 100 साल तक जीते हैं तो कुछ तो 165 साल तक के लोग भी यहाँ मैजूद है बता दे की इन लोगो को जानलेवा बीमारिया जैसे की कैं’सर, ट्यू;मर के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
ऐसा भी देखा गया है की यहाँ की औरते 65 साल की उमर में भी बच्चे को जन्म देती हैं इसकी वजह ये है की हुनजा शहर के लोगो का ये मानना है की खान पान और जीवन बिताने के ढंग इंसानो पर कैसे असर डालती है।यहाँ के लोग 0 डिग्री सेल्सियस में बर्फीले पानी में नहा लेते हैं और इन्हे कुछ नहीं होता है।ये लोग सिर्फ अपने हाथ से उगाए हुए साग सब्ज़ी और फल को खाते हैं इनके खाने पीने में कच्चे फल और सब्जी तिलहन, सूखे खुबानी,खास तौर से बाजरा या बिसनाह, और जौ, फलियां, अंडा दूध, शामिल है।
नाश्ते में यह लोग अनाज,रोटी और ब्रेड के साथ ताज़े या उबला हुआ खुबानी एक कटोरा होता है,सुबह 10 बजे एक ही तरह खाना खाते हैं और करीब 1 से 2 बच्चे के बीच सूखा खुबानी का खाना खाते हैं, और गर्मी में पानी में पतला ताजा खुबानी,5 से 7 के बीच कम्पलीट मील खाते हैं, इसमें मौसम के हिसाब से चपाति, सब्जि शामिल की जाती हैं। इसमें वह कई तरह के फल को खाते हैं, आड़ू, नाशपाती, सेब या ताजा खुबानी, मांस ना के बराबर खाते हैं, इसमें भेड़ का बच्चा या थोड़ा सा चिकन।
अच्छे खाने से ही अच्छी सेहत बनती है इसके साथ ही साथ ये लोग ऐसी जगह रहते है जहा पर पोल्लुशण का नमो निशान नहीं है इस वजह से मुश्किल से ही कोई यहाँ पर बीमार पड़ता है और लंबी ज़िन्दगी जीते है।