आदिमानव की प्रजाति नियंडरथल जो की इंसानो की ही एक प्रजाति है पर अब वो इस धरती पर से पूरी तरह विलुप्त हो चुके है पर सवाल ये है की आखिर कैसे और इस का जवाब अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपनी ताजा स्टडी में दावा किया गया है कि धरती का चुंबकीय क्षेत्र खत्म होने और पोल्स के पलटने के चलते हुए थे जानकारी के लिए बता दे की इसे लासचंप एक्सकुर्सिओं कहते है जो की आज से करीब 42 हजार साल पहले हुए था साथ ही ऐसा भी माना जाता है की करीब एक हजार साल तक ऐसे हालात बने रहे थे।
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है की इस तरह की घटना 2 से 3 लाख साल के अंतर पर होती है और इसे तरह धरती का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है और ऐसा भी हो सकता है की ध्रुवों यानी के पोल्स के पलटने का वक्त करीब आ रहा हो। इंसानो और दूसरे जानवरो के लिए चुंबकीय क्षेत्र काफी जरुरी है क्योकि ये सूरज से आने वाली सोलर विंड, कॉस्मिक रेज और हानिकारक रेडिएशन से ओजोन की परत को बचाता है और चुंबकीय क्षेत्र ध्रुवों पर सबसे ज्यादा होता है लेकिन कभी-कभी यह पलट भी जाता है।
चुंबकीय क्षेत्र के कारण बड़ा नुकसान हो सकता है, उपकरणों के संचालन में दिक्कत हो सकती है जैसे की सैटलाइट्स दूसरे क्राफ्ट्स चलने बंद हो सकते हैं इसके साथ ही ऐसी कई चीजे हो सकती है जिनके बारे में हम सोच भी नहीं सकते है साथ ही साइंटिस्ट का ये भी कहना है की Lascamp की घटना को ज्यादा अच्छे से स्टडी नहीं किया गया है इस वजह से ऐसी कई चीजे है जिनके बारे में उन्हें नहीं पता है।
साइंटिस्ट का कहाँ है की ध्रुव हर 2 से 3 लाख साल में बदलते हैं इसके साथ ही धरती का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है और तो और ध्रुवों के पलटने का वक्त नजदीक आ रहा हो इस ही बीच दक्षिण ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम के ऐलन कूपर के अनुसार यह जरूरी नहीं है कि ध्रुव फिर से पलटेगा ही पर अगर ऐसा होता है तो यह विनाशकारी होगा ये भी ही बता दे की मार्स यानी मंगल ग्रह जो बिलकुल धरती की तरह है पर भी चुंबकीय क्षेत्र नहीं है इस वजह से वह पर अभी भी जीवन के कोई निशान नहीं मिला है।