दोस्तों जैसा हम सब जानते है की हमारे बचपन में हमारे घर के बुजुर्ग बोला करते थे की “तुम क्या जानो हमारे ज़माने ये कितने में मिलता था या आज जो ये सिटी ,शहर बना है पहले यहाँ लोग जाया भी नहीं करते थे”,”हमारे सामने ही तो बसा है ये शहर”,इत्यादिमगर आज हम भी बोल सकते है की हमारे बचपन की कुछ मीठी यादें है जो आज के बच्चो को विरासत में न मिल सकी.
आज बज उन चीज़ो की देखते है या आज भी हमें ये चीज़े दिख जाती है तो दिल में बचपन की वो मीठी यादें ताज़ा है जाती है,अब ये यादें जैसे नई नई किताबो की खुशबु लेना, कॉपी किताब पर कवर लगाना, इन किताबों पर अपने फेवरेट wwf के खिलाड़ियों का या इंडियन क्रिकेट टीम के खिलाडियों का फोटो स्टिकर लगाना, स्कूल से घर जाते समय एक दुकान से चूरन लेकर के खाना, दोस्तों कुछ मीठी यादें ऐसी भी है जिन्हे हम आज भी याद कर के मुस्कुरा जाते है जैसे लंगड़ी टांग खेलना…
क्लास में बैठे बैठे अपना टिफिन का खाना खा लेना, भाटा पेंसिल खाना,अपनी अपनी ज्यॉमेट्रिक्स बॉक्स को दिखा कर दूसरों को चिढ़ाना, स्याही की पेन से लिखना और स्याही ख़त्म हो जाने पर दोस्त से स्याही लेकर के भरना, स्कूल के नए जुटे आने पर बेहद खुश हो जाना,भारी भरकम स्कूल बेग लेकर के जाना,सबसे ज्यादा भारी बेग होने की शर्त लगाना.दोस्तों अगर आप दिल से इन चीज़ो को याद कर रहे है पढ़ते पढ़ते”तो जरा मुस्कुरा दीजिये क्यों की ये बचपन आप का ही है”आइये हम कुछ और मीठी यादें आप की ताज़ा कर दे जिन्हे सोच कर आप मुस्कुरायेंगे जरूर…