जब भी हाथियों की वफादारी का जिक्र किया जाता है, तो हर बार सबके मन में पहला ख्याल हिन्दी फिल्म “हाथी मेरे साथी” का ही आता है. गौरतलब है कि इसी तरह की एक कहानी बिहार के रहने वाले अख्तर इमाम के साथ भी हुई है, जिन्हें प्यार से सब हाथी काका के नाम से भी बुलाते हैं. दरअसल अख्तर के पास दो पालतु हाथी हैं रानी और मोती जिनसे उन्हें इतना लगाव है कि वह अपनी करोड़ों की संपति दोनों हाथियों के नाम कर चुके हैं.
आपको बता दें कि, अख्तर का एक बेटा भी है, लेकिन इसके बावजूद उसने अपने बेटे को संपति का एक भी हिस्सा नही दिया है और वहीं हाथियों के नाम अपनी 5 करोड़ की संपति कर दी है. जी हां, काफी हैरान होने वाली बात है न लेकिन इस वजह के पीछे बहुत बड़ा कारण छिपा है, तो आइए एक बार हाथी काका यानी अख्तर इमाम के उसी कारण को जानते हैं..
जानिए हाथी काका की कहानी
पटना के नजदीक स्थित दानापुर में ‘हाथी काका’ के नाम से पहचाने जाने वाले अख्तर इमाम की कहानी ऐसे लोगों में से एक है. जिनको उनके परिवार वालों से धोखा मिला, लेकिन उनके पालतु जानवरों ने उनके साथ वफादारी निभायी. अख्तर इमाम को लोग हाथी काका के नाम से तब बुलाने लगे, जब उन्होंने अपनी 5 करोड़ की संपत्ति को बेटे के बजाय अपने हाथियों के नाम कर दिया. हालांकि इस बात को 9 महीने बीत चुके है, लेकिन अपने बेटे को जायदाद से बेदखल करने के बाद इमाम खुद को बिल्कुल भी अकेला या बेसहारा महसूस नहीं करते हैं.
इस बारे में अख्तर बताते हैं कि उनके बेटे ने उनको अपनी गर्लफ्रेंड के झूठे रेप केस में फंसाया था, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा. जिसके बाद जांच में उनके ऊपर लगे आरोप झूठे साबित होने पर उन्हें बरी कर दिया गया. अख्तर का कहना है कि उनके बेटे ने उन्हें व हाथियों को जान से मारने की भी कोशिश की थी. उनके घर में एक बार दो लोग हथियार लेकर घुस आये थे, लेकिन उनके हाथियों ने शोर मचाकर हथियारबंद लोगों को भगाकर उनकी जान बचाई. जिसके बाद उन्होंने अपने हाथियों के नाम पर जायदाद करने का फैसला किया.
हाथी काका उर्फ अख्तर का कहना है कि उनको अपनी जायदाद से इकलौते बेटे को निकालने का बिल्कुल भी अफसोस नहीं है. उन्होंने अपनी जायदाद को दो हिस्सों में बांटा है. जिसमें से पहले हिस्से को अपनी पत्नी के नाम एवं दूसरे हिस्से को अपने दोनों हाथी रानी और मोती के नाम किया है.
हाथी काका के अनुसार अगर उनके बाद उनके हाथियों को कुछ हो जाता है तो उनके हिस्से की जायदाद ऐरावत संस्था को दे दी जाएगी. उनका कहना है कि उनके लिए हाथी किसी साथी से कम नहीं है और उनका जीवन हाथियों के लिए ही समर्पित है.
Source: hindnow.com